शनिवार, 1 जनवरी 2022

ए बीते साल / रतन वर्मा

 ऐ बीते साल / रतन वर्मा 

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ऐ बीते साल, 

तुझे मैं बीता कैसे मान लूं ?

लोग कहते हैं --

तुम हर वर्ष बीतते हो

लेकिन मैं कहता हूँ--

जब से हमारे जन्म का पहला क्षण शुरू होता है,

हर क्षण हमें सींचते रहे हो।

हमें बीज से अंकुर

अंकुर से पौधा

और पौधे से वृक्ष बनाते रहे हो।


ऐसे में,

ऐ बीते साल

तुझे मैं बीता कैसे मान लूं ?


कैसे बिसरा दूं, उन क्षणों को

जिनने प्रेयसी बन मुझे अपनी बांहों में समेटे रखा

मुझे चूमा, दुलराया,

अपने दिल में बसाये रखकर 

जीने और जिजीविषा बनाये रखने का सलीका सिखाया !


जब मेरी सांसें निराश होने लगीं,

तुमने यह सुनते हुए भी

कि अब तुम बीत रहे हो,

अपनी साँसों की गर्माहट देकर

मुझे जिलाये रखा 

और आगे भी जीते जाने की राह दिखायी।


ऐसे में ऐ मेरे अज़ीज़ ,

तथाकथित बीते साल,

तुम्हीं तो मेरे जीवन की हक़ीक़त हो

बल्कि कहूँ तो,

मेरे वज़ूद के रोम-रोम में तुम ही तो समाहित हो।


और आने वाला साल ?

वह तो किसी सपने जैसा ही है न -- मेरे लिये !

जिसकी कोख में,

पता नहीं, मेरे लिए विष भरा है या संजीवनी ?


जो प्यार और समर्पण तुमने बरसाये रखे मुझपर

क्या पता --

नये साल के दामन में

उसका कोई कतरा भी मेरे लिए सुरक्षित होगा या नहीं ?


ऐसे में,

ऐ तथाकथित बीते साल,

तुझे मैं बीता कैसे मान लूं?

क्योंकि तुम्हीं तो मेरी हक़ीक़त हो

और आने वाला साल किसी रहस्य जैसा .....


             रतन वर्मा,

             K-- 10, सीटीएस कॉलोनी,

             हज़ारीबाग -- 825301

              झारखण्ड

              मो.-- 8340363035

                      9430347051

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