*आचार्य चाणक्य एक ऐसा नाम है जो ना केवल प्राचीन समय में बल्कि वर्तमान समय में भी लोगों की जुबान पर है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आचार्य चाणक्य एक महान कूटनीतिज्ञ विद्वान थे जिन्होंने अपने जीवन में ज्ञान के बलबूते पर समाज में अपना नाम बनाया था। इन्होंने अपने कई ग्रंथों की रचना की तथा उसमें मानव जीवन से जुड़ी विभिन्न नीतियों का वर्णन किया। जिनके बारे में कहा जाता है कि आज के समय में भी जो व्यक्ति उनकी नीतियों को अपने जीवन में अपनाता है उसके जीवन में सफलता के साथ साथ सुख समृद्धि की कमी कभी नहीं होती। तो वहीं उन्होंने अपने नीतिशास्त्र हुए व्यक्ति के बाल्यकाल से लेकर उसके वृद्ध जीवन के बारे में भी बहुत बातें वर्णित है*
तो आईए जानते हैं चाणक्य द्वारा बताई गई ऐसी ही कुछ खास नीति़यां-
चाणक्य नीति श्लोक-
न चक्षुषापि राजधनं निरीक्षेत्।।
भाव- राजधन की ओर आंख उठाकर भी न देखो
राजा का धन जनता का धन होता है। उसे लोकहित और लोक रक्षा के लिए खर्च किया जाता है। उस पर बुरी दृष्टि डालना प्रजा के साथ धोखा करना है। कहीं-कहीं इस सूत्र में ‘राजधनं’ के स्थान पर ‘राजानं’ भी आता है, तब इसका अर्थ होगा कि राजा को कभी सीधी आंखों से नहीं देखना चाहिए। इसे राजा के स मुख बेअदबी की संज्ञा दी जाती है।
चाणक्य नीति श्लोक-
कुटु बिनो भेतव्यम्।
भाव- उच्च लोगों से रखो अच्छे संबंध
अर्थात- राजा अथवा उसके किसी कर्मचारी से द्वेष रखने से नुक्सान ही होता है। राज्य में राजा अथवा उच्च व्यक्तियों की ही चलती है। अत: ऐसे लोगों से सदैव अच्छे संबंध ही बनाने चाहिएं।
चाणक्य नीति श्लोक-
राजपुरुषै: संबंधं कुर्यात्।
भाव- राजपुरुषों से संबंध मधुर रखें
अर्थात- राजपुरुष से संबंध बनाए रखने से लाभ ही लाभ होता है। अपने कार्य तो सिद्ध होते ही हैं, दूसरों के कार्य भी कराए जा सकते हैं।
चाणक्य नीति श्लोक-
पुत्रे गुणवति कुटु बिन: स्वर्ग:।
भाव- पुत्र के गुणवान होने से परिवार स्वर्ग बन जाता है
अर्थात- इस संसार में ‘सुख’ और ‘दुख’ अर्थात ‘स्वर्ग’ और ‘नर्क’ यहीं पर हैं। यदि किसी परिवार में एक गुणी पुत्र उत्पन्न हो जाता है तो वह सारे परिवार को सुख अर्थात स्वर्ग की भावना से भर देता है। अत: अपने पुत्र को गुणवान और सदाचारी बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।
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*हेमंत किंगर ( पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हरियाणा पंजाबी महासभा 9915470001*
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