शुक्रवार, 12 नवंबर 2021

राम और सीता के चरित्र

 बाबा जी...


राम और सीता के चरित्र भारतीय जनमानस में ऐसे रमे हुए हैं...कि राम और सीता के बिना कोई भी अपने अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकता...राम और सीता की छवि प्रेम, समर्पण, उदात्त मूल्य और आदर्श की भावना की परिचायक है...


राम और सीता का सम्बन्ध विवाह से भी ऊपर उठकर प्रेम का ही सम्बन्ध है...अद्वैत का सम्बन्ध...एक दूसरे के पूरक...यदि राम समर्पण, प्रेम, त्याग की प्रतिमूर्ति हैं तो सीता समर्पण, प्रेम और त्याग की पराकाष्ठा है...


राम ने तो पिता के कहने से मात्र राज्य ही त्यागा था...लेकिन सीता ने तो राम के कहने मात्र से अपने परमप्रिय राम को ही त्याग दिया.... एक आदर्श की स्थापना के लिए दोनों ने एक दूसरे को ही त्याग दिया...इसीलिए तो राम से पहले सीता का नाम जोड़ा जाता है...नमस्कार करते हैं तो जय सिया राम बोला जाता है...शुभ कार्यों के अवसर पर सीता-राम लिखा जाता है...और त्यौहारों पर घर के द्वार पर सीता राम के सुन्दर चित्र बनाकर लिखा जाता है...सीता राम...   


ऐसी ही विशिष्ट लोक चित्र शैली मधुबनी के नाम से बिहार और नेपाल के मिथिलांचल क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है...ऐसे ही सीता राम स्वयंवर के एक दृश्य को प्रभावशाली कलाकार #प्रियंका_शर्मा ने अपनी कूंची के माध्यम से प्रस्तुत किया है...इस मधुबनी पेंटिंग में...

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