शुक्रवार, 12 नवंबर 2021

बाल साहित्य आज के दौर मे / अखिलेश श्रीवास्तव चमन

 वर्तमान दौर में जो चन्द लोग बाल कहानियों के लेखन में गंभीरता से लगे हैं,उनमें पवन कुमार वर्मा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। प्रदर्शित पुस्तक में श्री पवन की स्वयं उनके ही द्वारा चयनित चालीस बाल कहानियां संकलित हैं। पवन कुमार वर्मा को मैं तब से जानता हूँ जब उन्होंने लिखना प्रारंभ किया था और इस प्रकार उनके लेखन की अब तक की यात्रा का साक्षी हूँ। उनकी लगभग सभी बाल कहानियां पढ़ने का मुझे अवसर मिला है। हर्ष की बात है कि इन्होंने अपने लेखन को निरंतर परिष्कृत किया है। इनके लेखन में जो खास बात देखने को मिलती है वह है इनकी प्रयोगधर्मिता। न सिर्फ कथ्य बल्कि कहन के स्तर पर भी नवीनता इनकी कहानियों को भीड़ से अलग करती है। दूसरी खास बात यह कि  कहानियों का विषय वस्तु ये बाल/किशोर पाठकों के दैनंदिन जीवन तथा उनके परिवेश से ही उठाते हैं। प्रस्तुत संकलन में इनकी बाल कहानियों के विविध रंग देखे जा सकते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चिड़िया का घोंसला  सर्दियाँ आने को थीं और चिंकी चिड़िया का घोंसला पुराना हो चुका था। उसने सोचा चलो एक नया घोंसला बनाते हैं ताकि ठण्ड के दिनों ...