दिल्ली और हरियाणा का रिश्ता पड़ोसी होने से कहीं आगे तक जाता है। आज हरियाणा का स्थापना दिवस है,तो हम देखेंगे दिल्ली के चप्पे-चप्पे पर मिलने वाले हरियाणा के प्रतीकों और शख्सियतों को। डीसीएम समूह के चेयरमेन लाला भरत राम एक बार अपने 23 सरदार पटेल मार्ग के बंगले में बता रहे थे कि उनके पुऱखे हरियाणा के झज्जर से थे। हमने उनसे हिम्मत जुटाते हुए पूछा था, ‘ तो आप भी दिल्ली वाले नहीं हैं? आपको तो सब पक्का दिल्ली वाला मानते हैं।’ जवाब मिला, ‘कतई नहीं। हम झज्जर से हैं। दिल्ली में करीब 150 साल पहले आ गए थे।’
लाला भरत राम ने ही एचसीएल के चेयरमेन शिव नाडार को अपनी कंपनी डीसीएम डाटा प्रोड्क्टस में पहली नौकरी दी थी।
दरअसल राजधानी की कई प्रमुख श🤭ख्सियतों के बारे में आम राय है कि वे तो पक्के दिल्ली वाले हैं। लेकिन पर वे अपने को हरियाणा से बताते हैं। चांदनी चौक और सदर बाजार से सांसद रहे श्री विजय गोयल बताते हैं कि उनका परिवार मूल रूप से सोनीपत से दिल्ली आया था। उनके पिता श्री चरतीलाल गोयल दिल्ली विधान सभा के स्पीकर भी रहे। यानी जिसे सब दिल्ली वाला मानते थे,वो परिवार भी बाहर से आया था। दिल्ली का बेशक सबसे मशहूर हरियाणवी तो क्रिकेटर कपिल देव ही हैं। वे 1984 के बाद दिल्ली में बसे गए थे।
एक दौर में बिड़ला मिल्स और डीसीएम समूह की कंपनियों में आज के हरियाणा के सैकड़ों लोग काम करने आते थे। फिर उन्होंने इधर ही अपने घर बना लिए। कमला नगर,शक्ति नगर और मल्कागंज जैसी पुरानी कालोनियां में 70 फीसद तक हरियाणा के लोगों के आशियाने हैं। ये ज्यादातर वैश्य समाज से हैं।
दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी हरियाणा से हैं। उनका जन्म हरियाणा में ही हुआ। उनके बहुत से रिश्तेदार भिवानी और हिसार में बसे हुए हैं।
कहां कहां हरियाणा दिल्ली में
अगर गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे बड़े हरियाणा के शहर दिल्ली के बिल्कुल करीब हैं, तो आपको रोहिणी, पीतमपुरा,प्रशांत विहार वगैरह में घूमते हुए हरियाणा के किसी शहर में होने का अहसास हो सकता है। इधर आपको हरियाणा मैत्री संघ, हरियाणा भवन, भिवानी मित्र मंडल, हरियाणा स्वीट्स वगैरह के बोर्ड बार-बार नजर आएंगे हैं। ओल्ड रोहतक रोड में भिवानी परिवार मैत्री संघ नाम की संस्था एक अरसे एक्टिव है।
ये हरियाणा के भिवानी जिला के उन परिवारों का समूहहै जो अब दिल्ली वाले हो गए हैं। इसमें 800 मेंबर हैं। आपस में मिलने-जुलने से लेकर देश के किसी कोने में दैविक आपदा आने पर हर संभव मदद करते हैं। इसी तरह से पीतमपुरा में हरियाणा मैत्री संघ भवन है। इसमें विवाह समारोह वगैरह होते हैं। यानी कोपरनिक्स मार्ग पर हरियाणा भवन के अलावा भी हरियाणा भवन दिल्ली में हैं।
दरअसल हरिय़ाणा बनने से पहले और बाद में सोनीपत, पानीपत, नरवाना,रोहतक, हिसार,भिवानी वगैरह से खासी संख्या में लोग दिल्ली काम-धंधे की तलाश में आने लगे। रोहिणी में तो सैकड़ों परिवार हरियाणा से हैं। रोहिणी को आप मिनी हरियाणा कह सकते हैं। आई.पी. एक्सटेंशन में नरवाना सोसायटी है। इसे नत्थू स्वीट्स वालों ने बनवाया था।
हरियाणा मामले के विशेषज्ञ श्री नरेश कौशल ने बताया कि दिल्ली में हरियाणा से संबंध रखने वाले उद्यमियों क्रमश: वासुदेव गुप्ता और ताराचंद गुप्ता की सूर्या पाइप और एक्शन शूज जैसी मशहूर कंपनियां हैं। ये सब दिल्ली में बस जाने के बाद भी मन और संस्कारों से हरियाणा वाले ही हैं। उधर, दिल्ली-6 में रहने वालों के लिए कहा जाता है कि ये यहां के भूमि पुत्र हैं। पर इनमें से खासी बड़ी आबादी का संबंध हरियाणा से रहा है। ये सब सौ या उससे भी पहले शाहजहांबाद की गलियों में आकर बसे। तब तक मौजूदा हरियाणा पंजाब का ही हिस्सा था।
इस बीच, हरियाणा के कद्दावार मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल जीवन के अंतिम सालों में सर्वप्रिय विहार में ही रहने लगे थे। हरियाणा के एक अन्य मुख्यमंत्री भजनलाल ने गोल्फ लिंक्स में बंगला बनवा लिया था।
किस फिल्म को देखने आए थे हरियाणा वाले दिल्ली
हरियाणवी भाषा में बनी फिल्म चन्द्रावल राजधानी के अल्पना और बतरा में में रिलीज़ हुई थी 1984 में। इसे देखने के लिए हरियाणा के दर्शक भी आने लगे थे। चन्द्रावल ने हरियाणवी सिनेमा में कीर्तिमान स्थापित कर दिया था और यह फ़िल्म अब तक की सबसे यादगार हरियाणवी फ़िल्म के रूप में याद की जाती है। जब ये फिल्म लगी तो रोशनआरा रोड, सब्जी मंडी और राणा प्रताप बाग में बस गए हरियाणा के परिवार भी इसे देखने के लिए पहुंचे। इसके निर्देशक जयंत प्रभाकर और निर्माता उषा शर्मा एवं देवी शंकर प्रभाकर थे।
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Navbharattimes 1 नवंबर 2021
Photo. Lala Bharat Ram
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