मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021

कुछ भक्ति गीत

देवी भक्ति गीत /  प्रेम शंकर प्रेमी 


आईल नवरातर सईयाँ हमें बतलावा हो

कब चलबा माई दरबार हो

उनके कृपा से पयीनी जननी  के सुखवा हो

गोदिया भरल बा हमार हो

 सईयाँ ,कब चलबा-------------------


चुनरी चढा़ईब माई के आरती उतारब हो

नव दिन करब उपवास हो 

गाँव के  मंदिरवा में दियना जलाईब  हो

मईया करेली जहवाँ वास हो

कब चलबा----------------


शेरवा सवारी बाटे पर्वत बा डेरवा  हो

महिमा माई के  अपरम्पार हो

काली के रूपवा धरी सबके बचयीली हो

दईतन के करी  के  संहार हो

कब चलबा-----------------


जाईके मंदिरवा मे मथवा नवाईब  हो

मनवा में शरधा बा अपार हो

सुनी प्रेमशंकर भईया मानी हमरी बतिया हो

ईनका के करीं अब तईयार हो

जाएके बा माई दरबार हो 


आईल नवरातर सईयाँ हमें बतलावा हो

कब चलबा माई  दरबार हो 

भीड़वा लागल बा अपार हो

उनके पूजेला अब संसार हो

करब हम माई के दिदार हो


कवि----प्रेमशंकर प्रेमी


( रियासत पवई )



: विषय कन्या पूजन / रमाकांत सोनी 



कन्या देवी रूप समान 

कहते हैं सब वेद पुराण 

कन्या पूजन से होता है 

घर परिवार जग कल्याण

 

नव गृह प्रवेश पर कन्या 

पूजन का खास विधान 

अष्टमी नवमी नवरात्र में 

कन्या रूप साक्षात मान 


कन्या आदर सत्कार करे 

देवी चरणों को जो धोता 

सुख समृद्धि घर में आती

सौभाग्यशाली नर होता 


नौ देवियों पूजन बाद ही 

भक्त व्रत पूरा करते हैं 

थाल सजा भोजन करवाते 

शीश मां चरणों में धरते हैं 


सामर्थ्य से दक्षिणा देते 

चरण छूकर आशीष लेते 

विजय विद्या राजयोग पाते 

धन ऐश्वर्य वैभव सब आते 


मात भवानी अम्बे खुश हो 

घर घर में खुशहाली आती 

सफल होती साधक साधना 

मन इच्छा सब पूरी हो जाती

 

भरा रहे भंडार सदा ही

रणचंडी देती है वरदान 

दुष्ट दलनी संकट हरणी 

भक्तों का करे कल्याण


दुर्गा नौ रूपों की पूजा 

अर्चना जो नित करता 

कन्या पूजन सेवा वंदना 

आशीशों से झोली भरता


रमाकांत सोनी

नवलगढ़


जिला झुंझुनू राजस्थान



: माँ महागौरी स्तुति / निशा"अतुल्य"

माहिया

13.10.2021


माँ गौरी आई है 

सुन्दर रूप बड़ा

मन को हर्षाई हैं ।


माँ वृषभ सवारी है

हाथों में डमरू 

मुद्रा वर दाई है ।


माँ शांत स्वरूपा है ।

शिव वर पाया जो

देवों ने पूजा है ।


पूजन नवदुर्गा का 

दुष्ट दलन करती

है सौम्य, रौद्र रूपा ।


माँ भोग लगाती हूँ

अभय रूप तेरा

दर्शन मैं पाती हूँ ।


निशा"अतुल्य"

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