जीवन में अवसाद बहुत, पर,
सपनों के सौगात कम नहीं,
कंट भरी है राह, परन्तु ,
मन में है आकाश कम नहीं !
पंछी बन उड़ना जो चाहूं,
पर डैनें हैं बोझल -बोझल,
नैन पपीहरा चांद निहारे,
चंदा दिखता मद्धम -मद्धम,
चलना चाहूं, पकड़ उंगली,
उसमें भी झटकार कम नहीं !
कंट भरी है राह, परन्तु,
मन में है आकाश कम नहीं !
जीवन का यह ताना -बाना ,
चलता रहा सदा मनमाना,
कहां चाल में चूक हो गयी,
अपना खास हुआ बेगाना !
हमने प्यार लुटाया जी भर,
बदले में दुत्कार कम नहीं,
कंट भरी है राह परन्तु ,
मन में है आकाश कम नहीं !
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