शनिवार, 30 अक्टूबर 2021

जन्मदिन मुबारक हो क्षमा जी / विवेक शर्मा /

 प्रसिद्ध लेखक,संपादक और पत्रकार क्षमा शर्मा जी का आज (30 अक्तूबर) जन्म दिन है। उन्हें 1986 में हिन्दुस्तान अखबार को ज्वाइन करने से पहले पढ़ा था। जब HT house में जाकर नौकरी करने लगा तो उनसे मिला। वह नंदन में थीं। उस पहली मुलाकात के बाद से ही वह मेरी मार्गदर्शक, संरक्षक और शुभचिंतक बन गईं। कह सकता हूं कि क्षमा जी ने मुझे और मेरे जैसे दर्जनों पत्रकारों को अपनी लेखनी से प्रभावित और प्रेरित किया। मुझे जिन लोगों ने लिखना सिखाया उनमें वह भी हैं। हालांकि मैं उनके मेयार का कभी बन नहीं सका।


क्षमा जी  भाषा की शुचिता और शुद्धता की प्रबल पक्षधर रही हैं। वह लगातार बिल्कुल नए विषयों पर लिखती रहती हैं। उनके विषय चौंकाते हैं। उनके विषयों को पढ़कर रश्क होता है कि यह विषय हमें क्यों नहीं समझ आया।


 क्षमा जी ने मुझे लगभग 30 साल पहले कहा था कि विवेक, तुम किताब लिखो। मैं कह सकता हूं कि मुझे किताब लिखने के बारे में सबसे पहले उन्होंने ही कहा था। उसके कई सालों के बाद मैंने किताब लिखने के बारे में विचार किया और अब तक तीन किताबें लिखीं। उन्होंने पेड़ों और परिंदों पर भी खूब लिखा है। तोतों पर खासतौर पर। उनके कई विषयों को देखकर मैंने भी लिखने की कोशिश की।


क्षमा जी की सलाह पर ही मैंने अपने जीवन का पहला बैंक अकाउंट हिन्दुस्तान टाइम्स हाउस के आगे सूर्य किरण बिल्डिंग में बैंक आफ बड़ौदा की ब्रांच में खुलवाया। उन्होंने मेरे फॉर्म को देखा और उस पर अपने साइन किए। क्षमा शर्मा के दस कहानी संग्रह, चार उपन्यास और स्त्री-विमर्श से सम्बन्धित पाँच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वह नंदन पत्रिका की लंबे समय तक संपादक रहीं। जब नंदन अपने चालीस पूरे कर रही थी तब उन्होंने मेरे से कहा कि मैं नंदन के चार दशकों के सफर पर लिखूं।

मैं क्षमा जी पर लिखते हुए उनके पुत्र के विवाह को नहीं भूल सकता। विवाह का कार्यक्रम दिन में  प्रगति मैदान के एक रेस्तरां में था। वह सच में पावर वैंडिग थी। वहां पर राजेन्द्र यादव, अरुंधति राय, निर्मल वर्मा, मनोहर श्याम जोशी, नामवर सिंह, प्रभाष जोशी समेत शब्दों के संसार के सब खास नाम उपस्थित थे। विवाह के समय दिल्ली में जाड़ा दस्तक देने लगा था। उस खुशगवार मौसम में शिखर लेखकों के साथ सुस्वादु डिशेज का आनंद लेने का सुख दिव्य था। मेजबान के तौर पर श्री सुधीश पचौरी सर और क्षमा जी सब अतिथियों से बार-बार मिल रहे थे। फिर उस तरह के विवाह में शामिल होना नसीब नहीं हुआ।


क्षमा जी, Kshama Sharma , जन्म दिन पर आपको फिर से शुभकमनाएं। चमकता रहे आपके शब्दों का संसार।

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