मंगलवार, 5 अक्टूबर 2021

सत्य नाम को पुकारो / प्रेमशंकर प्रेमी

 



मन में है मैल जिसका

उस तन को न उच्चारो 

जो सत्य है धरा पर

उस नाम को पुकारो


दिखता जो स्वच्छ निर्मल

वो विष का  है प्याला

न समझ सके  तो उसका

बन जाओगे  निवाला

दिल है जो तेरा कोमल

तु दिमाग को सुधारो

जो सत्य-------------

उस नाम --------------


जिसको मिला है सबकुछ

फिर भी वो रो रहा है

वो लोभ मन में लाकर

खुद चैन खो रहा है

श्रम से न जी चुराओ

निद्रा को अब भगाओ

उड़ता है मन गगन में

धरती पे उसे लाओ


पाया है नाम जितना

उसको नही बिगाडो

जो सत्य है धरा पर

उस नाम को पुकारो

मन में है --------------

उस तन को--------

जो सत्य -------------

उस नाम --------------


गीतकार---प्रेमशंकर प्रेमी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साहित्य के माध्यम से कौशल विकास ( दक्षिण भारत के साहित्य के आलोक में )

 14 दिसंबर, 2024 केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद  साहित्य के माध्यम से मूलभूत कौशल विकास (दक...