भारत यायावर का जाना एक बड़ी अपूरणीय क्षति है।
संपूर्ण साहित्य जगत आज स्तब्ध है ।
भारत यायावर का संपूर्ण जीवन हिंदी साहित्य को समर्पित रहा।
वे मूलत: एक कवि थे ।
उन्होंने हिंदी साहित्य की सभी विधा पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी ।
वे एक साहित्यकार की भूमिका में सबसे अलग और निराले थे।
उन्होंने कविता लेखन, आलोचना, संस्मरण, समीक्षा, संपादन आदि तमाम विधाओं पर जमकर काम किया ।
उन्होंने देश के जाने-माने प्रख्यात साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेनू की कृतियों को देशभर से ढूंढ कर संग्रहित कर रत्नावली प्रकाशित कर एक अद्वितीय कार्य किया।
उन्होंने प्रख्यात साहित्यकार महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनावाली का संपादन कर इतिहास रच दिया।
वे झारखंड के जाने माने साहित्यकार राधा कृष्ण की रचनाओं को भी ढूंढ कर रचनावली के कार्य में लगे थे। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित उनकी रचनाएं प्रकाशित हो रही थी।
एक साथ कई पत्रिकाओं के प्रधान संपादक के रूप में भी अपने दायित्व का निर्वहन सफलतापूर्वक कर रहे थे। ऐसे साहित्यकार विरले ही पैदा होते हैं।
इनका संपूर्ण जीवन हिंदी साधना और सेवा में बीता।
उनके जाने से हिंदी साहित्य संसार सुना हो गया है।
ऐसा प्रतीत होता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें