माता का दरबार
मात दरबार सजा
शंख संग झांझ बजा
मंजीरे की ताल पर
मैया को बुलाइए ।
रंगोली सजाई द्वार
आई सिंह पे सवार
दुष्टों को सँहारती है
मैया को मनाइए ।
लोभ मोह हर लेती
मैया सब वर देती
नित ही नमन करो
शीश को झुकाइए ।
शिव-शक्ति सम जान
अर्ध-नारीश्वर मान
सृष्टि संचालन करें
वर सदा पाइए ।
निशा"अतुल्य"
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