कहानी में बयान से भी अधिक भयावह है ज़िन्दगी : राज नारायण शुक्ला
मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के कथा संवाद में मौजूदा दौर की कहानियों पर हुआ विमर्श
गाजियाबाद। मौजूदा दौर की कहानी महानगरीय विडंबनाओं का प्रतिबिंब है। आधुनिक समाज की कहानियां जितने विभत्स रूप में हमारे सामने आ रही हैं असल जिंदगी हमारे सामने उससे भी अधिक भयावह रूप में मौजूद है। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के कथा संवाद में आज पढ़ी गई कहानियां जिंदगी के विद्रूप पक्ष का बयान हैं। कथा संवाद में बतौर अध्यक्ष बोलते हुए प्रो. राज नारायण शुक्ला ने उक्त उद्गार प्रकट किए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रताप सोमवंशी ने कहा कि आज सुनी गईं तमाम कहानियां इस बात की घोषणा करती हैं कि स्त्री विमर्श की जितनी जरूरत कल थी उतनी ही जरूरत आज भी है। इस बात पर एतराज़ हो सकता है कि आज की कहानी स्त्री देह के इर्द-गिर्द घूम रही है, लेकिन हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि स्त्री के विरुद्ध अत्याचार का पुरातन सिलसिला अभी जारी है।
होटल रेडबरी में आयोजित कथा संवाद को संबोधित करते हुए प्रख्यात व्यंग्यकार आलोक पुराणिक ने कहा कि वर्तमान दौर के आदमी की जिंदगी आज रामगोपाल वर्मा और बड़जात्या के बीच चल रही फिल्म के सुखांत या ससपेंस के बीच कहीं फंसी है। उन्होंने कहा कि कहानी को सुखांत अंत देने की लेखकीय कोशिश बेमानी है। जब वास्तविक जीवन में सुख नही है तो कहानी सुखांत कैसे हो सकती है। कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि एवं आलोचक रघुवीर शर्मा ने कहा कि अपने प्रारंभिक दौर बाल्यकाल में प्रेमचंद ने एक कहानी के अंत में रचना के सभी पात्रों को इसलिए मार दिया था क्योंकि उन्हें उसका कोई अंत नहीं सूझ रहा था। उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में कहानी को सुखांत अंत के दायरे में कैद नहीं किया जा सकता। आज का पाठक इतना जागरूक है कि अपने तरीके से अंत निर्धारित कर लेता है।
व्यंग्यकार एवं आलोचक सुभाष चंदर ने कहा कि मंच से सुनी गई तमाम कहानियां सामाजिक, पारिवारिक व आर्थिक विसंगतियों का वास्तविक बयान है। कथा संवाद में रिंकल शर्मा, रश्मि पाठक, मनु लक्ष्मी मिश्रा, शिवराज सिंह, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. बीना शर्मा व डॉ. निधि अग्रवाल की कहानियों पर जमकर विमर्श हुआ। कार्यक्रम का संचालन दीपाली जैन 'जिया' ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत साहित्यकार बी. एल. गौड़, सुभाष चंदर, आलोक पुराणिक और डॉ. निधि अग्रवाल को मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन की ओर से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डॉ. महकार सिंह, आशुतोष अग्निहोत्री, मदन पांचाल, गोविंद गुलशन, सुरेंद्र सिंघल, आलोक यात्री, रवीन्द्र कांत त्यागी, बी. एल. बतरा, सुभाष अखिल, किशोर श्रीवास्तव, अनिमेष शर्मा, अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव, विष्णु कुमार गुप्ता, वागीश शर्मा, तिलक राज अरोड़ा, के. के. सिंघल, गुरबख्श सिंह, सुरेंद्र शर्मा, तनु, जे. पी. गुप्ता, कल्पना आर्य, निगर्ह, टेकचंद, सौरभ कुमार, राहुल सिंह, भारत भूषण बरारा सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
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