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मीठी वाणी बोल के,करे जोग जप ध्यान।
छल छद्मों में लीन मन,देख रहे भगवान।।
रे नादां देख रहे भगवान।
करे दिखावा धरम की , बेच रहे ईमान।
मन से अधम दरिद्र हैं, वो कैसा धनवान।।
रे नादां वो कैसा धनवान।
करनी धरनी देख के,बाप करे बिषपान।
पापी तेरे पाप से, मिटे वंश खानदान।।
रे नादां मिटे वंश खानदान।
साधो सकल जहान में , दौलत भारी रोग।
जो धन जैसे आत हैं, करे दान या भोग।।
रे नादां करे दान या भोग।।
जैसी जिसकी सर्जना, वैसे वो गतिमान।
धूर्त चतूर बेइमान की, होय नाश ये मान।।
रे नादां होय नाश ये मान ।
धोखा देहू न साधु को, रे कपटी मतिमंद।
ईश्वर बैठा देख रहा, होगा उससे द्वंद।।
रे नादां होगा उससे द्वंद।
मन ये निर्मल राखिये,कहे उदय कविराय।
नादां ऐसा कर चलो, पड़े न फिर पछताय।।
रे नादां पड़े न फिर पछताय।
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उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
9934775009
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