बरसों के बाद भी मेरा याराँ उदास था.
उस शहर में यारां बता, ऐसा क्या खास था ?
पीरों के घर थे या के फकीरों का वास था
यारां मेरे मुझको बता, ऐसा क्या खास था ?
मजनू का आशियाँ था या लैला –निवास था,
उस शहर में यारां बता ,ऐसा क्या खास था ?
पुरखों की अस्थियाँ थी या माँ –बाप थे दफ़न,
यारां मेरे मुझको बता, ऐसा क्या खास था ?
यारों के काफिले थे या यादों के सिलसिले,
होली के रंग थे कि दिवाली के थे दिए ?
किसके मजार पर था वो जलता हुआ दिया,
आंधी ने जिसको वक्त से पहले बुझा दिया ?
यारां मेरे मुझको बता, ऐसा क्या खास था ?
जिसके लिए यारां मेरा अब भी उदास था ,
गम के थे ताजिये या मोहोब्बत की ईद थी,
मंदिर की घंटियाँ थी या जीसस की सलीब थी ?
यारां मेरे सच –सच बता, ऐसा क्या खास था ?
जीने का फलसफा अलग, मजहब अलग- अलग,
मरने के बाद लेकिन क्यों सब एकसाथ थे ?
गंगा के घाट पे कई मुस्लिम भी थे खड़े थे ,
कबरों के पास खड़ा कोई हिन्दू उदास था ?
तो सुन मेरे यारा तुझे, उसका सुनाउँ हाल,
छोटा सा शहर था मगर था बहुत बेमिसाल ?
गंगा –भिलंगना,शहर में बहती थी दो नदियाँ,
राजाओं के महल थे और बद्री- विशाल थे ?
गंगा का भी मंदिर था और बाबा –केदार थे ,
काली के पास साथ ही शिव नर्मदेश्वर थे ?
लक्ष्मी -नारायण थे वहां ,रघुनाथजी भी थे ,
और उनके साथ -साथ ही हनुमानजी भी थे ?
इस तरफ थी अजान और उस तरफ थी अरदास ,
गीताभवन भी शहर का होता था बड़ा खास ?
उस शहर के घंटाघर का कोई न था सानी,
उस शहर की सिंगोरिया और नथ प्रशिद्ध थी ,
उस शहर में आकर रहे वेदांती स्वामी रामतीर्थ ,
उस शहर से जुड़ा था श्रीदेव सुमनजी का नाम ?
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अब मेरे भाई तुम्ही बताओ,क्या कोई ऐसा दूसरा शहर है उत्तराखंड में ?
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