शनिवार, 9 अक्टूबर 2021

अरविंद अकेला की कुछ कविताएं

अरविंद अकेला: 


मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी ,फैले धरती आसमान

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आज दिवस है जन गण मन की हिन्दी का,

मिलकर बढ़ायें हम सब हिन्दी का मान,

मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी,फैले धरती आसमान 

बढ़े गरिमा हिन्दी की,मिले नयी पहचान

   मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।


सुर, तुलसी, कबीर, खुसरो की यह भाषा,

रहीम, रसखान, जायसी की यह आशा,

लाल, बाल, पाल ने डाली इसमें जान,

हिन्दी से हो पूरे जगत का कल्याण।

      मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी ...।


गाँधी,राजेन्द्र,पटेल,रेणु ने सींचा इसको,

विवेकानंद,अटल,रफी ने फुंके इसमें प्राण,

महादेवी,शिवपूजन,निराला ने दी आहुति,

दिनकर,पंत, नेपाली,लता ने बढ़ाई शान।

     मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।


अज्ञेय,दुष्यंत,वर्मा ने हिन्दी की दी ऊँचाई

नागार्जुन,शुक्ल ने हिन्दी में दिया योगदान,

भारतेंदु,इंशा,काम ने किया अपना जीवन कुर्बान,

आनंद,हसरत,समीर हिन्दी गीत से बने महान।

    मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।


प्रेमचंद, द्विवेदी, बेनीपुरी का इसमें आन,

नीरज, प्रदीप, गुलजार ने किया सम्मान,

मीरा,सरोजिनी ने की हिन्दी साहित्य की सेवा,

कवि"अकेला"को है हिन्दी पर स्वाभिमान।

     मुस्कुराती रहे मेरी...।

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   शत शत नमन 

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शत शत नमन आज उन्हें,

जो थे देश के लाल,

देश के लिए थे वे बहादुर,

हृदय था बङा, विशाल।

    शत शत नमन...।


कायस्थ कुल में जन्म लिये वह,

थे गुदङी के लाल,

शास्त्री बनकर चमके गगन में,

किये ऊँचा भारत का भाल।

     शत शत नमन...।


देश में जब खाद्यान्न संकट गहराया ,

जय जवान,जय किसान का नारा लगाया,

बचाया उन्होंने देश को दुश्मन से,

नहीं होने दिया देश को कंगाल ।

     शत शत नमन...।


सुना हूँ थे वे कर्मठ,इमानदार ,

करते थे वे अपने देश से प्यार,

आओ चलें हम उनके राहों पर,

करें हम उनसा कुछ कमाल।

     शत शत नमन...।

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पढ़ सको तो कुछ पढ़ लो

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यह जीवन एक खुली किताब,

पढ़ सको तो कुछ पढ़ लो,

पढ़कर कुछ अनमोल किताबें,

अपना यह जीवन गढ़ लो।

     पढ़ सको तो...।


किताबें बहुत कुछ बोलती हैं,

कई युगों का राज खोलती हैं ,

अध्ययन कर कुछ किताबों को,

सफलता की सीढियाँ चढ़ लो।

     पढ़ सको तो...।


किताबें देती अच्छे संस्कार,

यह देती सबको सद्विचार,

पढ़कर कुछ किताबें तुम,

जीवन में आगे बढ़ लो।

     पढ़ सको तो...।


पढ़ लो गीता,रामायण,पुराण,

इसमें बसते अपने जीवन,प्राण,

बिखरने नहीं देना इसके पन्ने,

अच्छी तरह इसे मढ़ लो।

     पढ़ सको तो...।

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