मनहरण घनाक्षरी / निशा अतुल्य
10.10.2021
महिमा अपार माता
करें सभी जगराता
रंगोली सजाई द्वार
मैया चली आइए ।
सिंह पे सवार आई
खुशियाँ अपार लाई
लाल रंग चुनर माँ
ओढ़ के दिखाइए ।
सौम्य रूप सजा मैया
सोलह शृंगार किया
खड्ग खप्पर लिए
दानव सँहारिए ।
नवरात्र विशेष है
नव रूप शेष हैं
सौम्य,रौद्र रूप बन
मन बस जाइए ।
निशा"अतुल्य"
[10/10, 12:26] +91 73897 07831: नमन मंच
माँ जगदंबे / अमिता मराठे
जगदंबे माँ दूर वतन से,
चली आओ अब धरा पे।
कर जोड़ अर्ज करें तुझसे,
नवरात्रि के सुखद समय में
करो पाप विनाश हमारे।
चहूं ओर हाहाकार फैले,
दुखियों का क्रन्दन सुन ले।
चली आओ माँ धरा पे।
तू ही दुर्गा तू ही विद्या देवी,
माँ भवानी नव रूप धारणी।
स्मृति अमृत तुल्य विहारिणी।
माँ तू माहेश्वरी शिव संगिनी।
हे माते नित्य मेरे घर विराजे।
सबके उर में शक्ति संचार करें।
जगदंबे माँ दूर वतन से,
चली आओ अब धरा पे।
अमिता मराठे
इंदौर
[10/10, 14:20] +91 94600 64419:
मंच को नमन / रमाकांत सोनी
विषय कुष्मांडा माता
अष्ट भुजाओं वाली आओ, सिंह सवार हो माता।
धनुष बाण कमंडल, शोभित हे कुष्मांडा माता।
नवदुर्गा स्वरूप चतुर्थ, सर्व सुख दायिनी माता।
दिव्य ज्योति आलोक प्रभा, तेज तुम्हीं से आता।
उत्साह उमंग भरने वाली जीवन में आनंद भरो
जग कल्याणी मात भवानी, अंबे जग पीर हरो
आदि शक्ति आदि स्वरूपा, सर्व सिद्धियो वाली।
दसों दिशाएं आलोकित हो, घर घर लगे दिवाली।
सूर्यलोक निवासिनी माता, दिव्य प्रभा कांति देती।
खुशहाली से झोली भरती, संकट सारे हर लेती।
अमृत कलश हाथ में तेरे, सुशोभित जपमाला।
विद्या बुद्धि यशदात्री, सजा है दरबार निराला
मां कुष्मांडा कल्याण करें, वैभव दे भंडार भरे।
ध्यान धरे जो सच्चे मन से, उनका बेड़ा पार करें।
भाग्य के तारे चमकाती, आराधक पूजक सब तेरे।
सबकी झोली भरने वाली, खोलो मार्ग सारे मेरे।
रमाकांत सोनी
नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
1 94548 94281: नमन मंच
चतुर्थ स्वरूप माँ कूष्मांडा / राजेश तिवारी
जय माता कूष्मांडा नमो नम :।
ओमकार वषट् जय नमो नम: ।।
तुम जग विस्तारक शक्ति हो ।
देने वाली शिव भक्ति हो ।।
वाहन तेरा शुभ सिंह बना ।
दया कृपा से हृदय सना ।।
तुम अष्टभुजा जगदम्बा हो ।
भवसागर की अवलम्बा हो ।।
सुत सम्पत्ति सब देती माता ।
सारा जग तेरा यश गाता ।।
आयु आरोग्य प्रदायी तुम ।
चरणन तेरे नतमस्तक हम ।।
ओ अखिलेश्वरी आदि माता ।
शरणागत शांति सुगति पाता ।।
जप माला हाथ कमण्डल है ।
संचालित सब भू मण्डल है ।।
गदा खड़ग अरु कमल सुमन ।
मुनि ऋषिसुर बोलें मातु नमन ।।
जय माता कूष्मांडा नमो नम:।
ओमकार वषट् जय नमो नम: ।।
राजेश तिवारी 'मक्खन'
झांसी उ प्र
[10/10, 19:44] +91 94548 94281: नमन मंच
पंचम् स्कन्द माता / राजेश तिवारी 🤭
ओ स्कन्द की माता ।
तेरा जश जग गाता ।।
कमल पुष्प कर में शोभित है ।
सो मधु प्रेमी भौंरे लोभित है ।।
अंक में तेरे षड़ानन सोहें ।
रूप देख सुरगण मन मोहें ।।
सोहें सिंह आप असवारी ।
सुन लीजें माँ अरज हमारी ।।
हम सब भी माँ बालक तेरे ।
कृपा कर रख दो सिर मेरे ।।
मातृ रूप अतुलित है मेरा ।
वात्सल्य पाऊं माँ मैं तेरा ।।
माता तुम जग की महारानी ।
महिमा तेरी कोई ना जानी ।।
ओ कुमार की जननी भवानी ।
क्या मैं कह दूँ अकथ कहानी ।।
मातृ रूप ह्वै जगत समानी ।
जय जय जगजननी भवानी ।।
होता तेरा जगराता ।
ओ स्कन्द की माता ।
तेरा जश जग गाता ।।
राजेश तिवारी 'मक्खन '
झांसी उ प्र
[10/11, 08:56] +91 98378 94997: माता कात्यायनी को प्रणाम
🙏🏻/+
निशा अतुल्य 🙃
स्तुति वंदन
11.10.2021
मातु आप सिंहवाहिनी
कलह क्लेश निवारणी
खड्ग खप्पर धारिणी
भय हरण कात्यायनी ।
कात्यायन पुत्री स्वरूपा
नमो नमो आदि शक्ति माँ
चण्ड-मुण्ड संहारिणी
विख्यात चामुंडा देव कार्य संवारती ।
शुम्भ निशुम्भ मर्दनी
देव लोक सकल तारती
शिव दूत बना शिव
शिव दूती स्वरूप धारती ।
मात असुरविनाशनी
पाप कष्ट हारिणी
सौम्य रूप महागौरी
तू ही वर दायनी ।
पूजन अर्चन स्वीकार करो
मातु क्रोध शांत करो
देव गण खड़े सभी
आरती उचारते मातु वरदायनी ।
निशा"अतुल्य"/ मां जगदम्बा ⛳
🙏शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः🙏
भारत में चहुॅ॑ ओर फैल रही, मायावी माया
माॅ॑ जगदम्बे कहीं नहीं दिख रही,आपकी छाया
नौ नव रूपों की कर साधना, हमने तुम्हें बहुत मनाया
अगणित रूप तुम्हारे माॅ॑, अब आ जाओ धर कर इच्छित काया
यहां बात बात में राजनीति हो रही,मीडिया का बृहन्नला नृत्य हो रहा
लेखक कवियों की क़लम चल रही, पर नहीं कोई न्याय हो रहा
नारी का सम्मान नहीं, निर्बल निर्धन असहाय हो रहा
जन मन में आक्रोश बढ रहा, सरकार प्रशासन लाचार हो रहा
माॅ॑ तुम सर्वव्यापी सर्वज्ञ हो, क्यों फिर यह सब हो रहा
जग कैसे माने सर्व शक्तिमान तुम्हें, समक्ष तुम्हारे अन्याय हो रहा
तुम कब दुर्गा का अवतार धरोगी, घर घर अब महिषासुर सो रहा
नित रक्तबीजों के स्वरूप बढ़ रहे, इंद्रासन फिर है डोल रहा
सब देवों से विनय करूं, मिलकर फिर शक्ति स्वरूपा प्रकट करो
मातृशक्ति में माॅ॑ जग जननी की, शस्त्र - शास्त्र शक्ति अब प्रकट करो
जग भारत के शास्त्रों को माने न कल्पना कोरी , सत्य सनातन प्रकट करो
माॅ॑ अब देर न करो ,भारत की प्रचंड शक्ति असीमित जग में प्रकट करो
भारत में चहुॅ॑ ओर फैल रही मायावी माया
माॅ॑ जगदम्बे कहीं नहीं दिख रही आपकी छाया
⛳ जय शक्ति स्वरूपा माॅ॑ जगदम्बा ⛳
चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र"
(ओज कवि )
अहमदाबाद , गुजरात
********************************
सर्वाधिकार सुरक्षित
*********************************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें